10 साल की रेप विक्टिम की बच्ची से मैच नहीं कर रहा है आरोपी का डीएनए 

10 साल की रेप विक्टिम की बच्ची से मैच नहीं कर रहा है आरोपी का डीएनए 

In : News By storytimes About :-6 years ago
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10 साल की रेप विक्टिम की बच्ची से मैच नहीं कर रहा है आरोपी का डीएनए 

चंडीगढ़ में 10 साल की नाबालिग से रेप के मामले में नया मोड़ आ गया है। विक्टिम ने जिस बच्ची को जन्म दिया है, उसका डीएनए रेप के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से मैच नहीं कर रहा है। चंडीगढ़ स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी ने शुक्रवार को ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी। स्टेटस रिपोर्ट में अथॉरिटी ने कहा कि इस केस में एक और शख्स को अरेस्ट किया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने रेप विक्टिम को अबॉर्शन कराने की इजाजत नहीं दी थी। पिछले महीने उसने एक बच्ची को जन्म दिया था। अब क्या एक्शन लिया जाएगा...

 लीगल सर्विस अथॉरिटी ने जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच से कहा कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों के फ्रेश डीएनए सैंपल फॉरेंसिक एग्जामिनेशन के लिए दो अलग-अलग लैबोरेटिरीज में भेजे जाएंगे।
 एमीकस क्यूरी इंदिरा जय सिंह ने SC से कहा, "नाबालिग विक्टिम की हालत अब स्थिर है और उसे काउंसिलिंग दी जा रही है। उसके पोषण का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

कौन है असली गुनहगार?

 इंदिरा जय सिंह ने अथॉरिटी की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बेंच से कहा, "अब सवाल ये उठता है कि असली गुनहगार कौन है? पुलिस को असली गुनहगार का पता लगाना चाहिए। इस मामले में पुलिस को प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन करनी चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि बच्चे का जन्म नाबालिग के साथ रेप करने की वजह से हुआ है।'

फ्रेश DNA रिपोर्ट पर क्या बहस हुई?

लीगल सर्विस अथॉरिटी: दोनों आरोपियों के डीएनए सैम्पल एग्जामिनेशन के लिए भेजे गए हैं। 2-3 महीनों में टेस्ट रिपोर्ट आ जाएगी।'
सुप्रीम कोर्ट: आपको डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट दो हफ्तों में मिल गई थी। इसमें इतना वक्त क्यों लग रहा है?

लीगल सर्विस अथॉरिटी: हरियाणा और पंजाब में इस तरह की रिपोर्ट आने में इतना वक्त लगना आम बात है। हालांकि, हमने स्पेशल रिक्वेस्ट की है, ताकि रिपोर्ट जल्दी मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट: जिन लैबोरेटिरीज में सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, वहां प्रॉसेस में तेजी लाई जाए। इसके अलावा बेंच ने कहा कि ट्रायल जज इस बारे में जरूरी ऑर्डर पास करें। इस मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

क्या है मामला?

चंडीगढ़ में 10 साल की लड़की से मामा ने रेप किया था। लड़की के पेट में दर्द हुआ और उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया। पता चला कि वो 3 महीने की प्रेग्नेंट थी।

हॉस्पिटल में उसकी काउंसलिंग हुई तो पता चला कि उसके साथ मामा ने 6 से 7 बार रेप किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जबकि लड़की को देखरेख के लिए हॉस्पिटल में ही रखा गया।

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SC ने अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी

लड़की की फैमिली ने जुलाई महीने में अबॉर्शन के लिए चंडीगढ़ कोर्ट में अर्जी लगाई थी, लेकिन इसकी इजाजत नहीं मिली। बाद में फैमिली सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन 32 हफ्ते की प्रेग्नेंसी होने के चलते यहां भी निराशा ही हाथ लगी। बता दें कि 26 हफ्ते के बाद कोर्ट की इजाजत के बगैर अबॉर्शन गैरकानूनी है।
 पीजीआई के मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि अबॉर्शन से लड़की और उससे पेट में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है। डॉक्टरों की देखरेख पर संतोष जाहिर करते हुए CJI जस्टिस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने पिटीशन खारिज कर दी।

10 साल की रेप विक्टिम की बच्ची से मैच नहीं कर रहा है आरोपी का डीएनए