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काशी विश्वनाथ से जुड़ी कुछ रोचक बाते | Some interesting facts related to Kashi Vishwanath
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काशी विश्वनाथ से जुड़ी कुछ रोचक बाते
हमारे भारत देश में अनेक ऐसे मंदिर हे जो प्रचलित है जिनमें हर साल अनेक भक्त दर्शन के लिए आते है। उनमे से एक प्रमुख मंदिर काशी विश्वनाथ का है जो वाराणसी उत्तरप्रदेश में है जो हर साल भक्तों को आकर्षित करता है। चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। गंगा नदी के तट पर बसा पवित्र शहर वाराणसी है जो हर हिंदू समुदाय के लिए अत्यंत पूजनीय स्थान है। माना जाता है की यह हिन्दुओ का प्राचीन मंदिर है। हिंदू पौराणिक कथाओं में पवित्र माने जाने वाला वाराणसी ऊर्फ काशी की तीर्थयात्रा भक्तों के लिए अत्यधिक पूजनीय है। काशी विश्वनाथ मंदिर पवित्र वाराणसी के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो पूरे भारत से हर साल बहुत सारे पवित्र भक्तों को आकर्षित करता है। इस मंदिर के बारे यह भी कहा जाता है की यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का स्थान है। काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने से और पवित्र गंगा माता में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए शंकराचार्य, सन्त रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ था। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ लिखकर पूरा किया था| और इस ग्रन्थ की शोभा यात्रा काशी नरेश एवं विद्वतजनों द्वारा हाथी पर धूमधाम से निकाली गयी थी। आज भी महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर तक जाती है।
मंदिर को कई बार तोड़कर बनाया गया -
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 'रानी अहल्या बाई होल्कर' द्वारा किया गया था। ऐसा माना जाता है कि रानी अहल्या बाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करके और इसके लिए धन प्रदान करके काशी की महिमा को बनाए रखने के लिए इसका निर्माण करवाया था। यहां तक कि इंदौर के राजा रणजीत सिंह ने 15.5 मीटर सोने के चार खंभों के निर्माण के लिए लगभग टन सोने का योगदान दिया था। और ऐसा माना जाता है की मुगलों के काल में मंदिर को कई बार लूटा गया था। हालांकि मुगल सम्राट के अकबर ने मूल मंदिर के निर्माण की आज्ञा दी थी, लेकिन उनके परपोते औरंगजेब ने बाद में मंदिर को नष्ट कर दिया था और वहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। जिसका नाम ज्ञानवापी मस्जिद है वर्तमान समय में जो काशी विश्वनाथ का मंदिर है उसका पुनर्निर्माण रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा करवाया गया था।
काशी पर पड़ी थी सूर्य की पहली किरण -
ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के निर्माण के समय सूर्य की पहली किरण काशी पर पड़ी थी या फिर कहे तो वाराणसी। भगवान शिव को स्वयं इस जगह और यहां रहने वाले लोगों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान स्वयं कुछ समय के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की रक्षा करने की लिए रहे थे। भगवान शिव की मर्जी के बिना ग्रह भी अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकते। इसलिए काशी यानि वाराणसी को भगवान शिव की नगरी के नाम से जाना जाता है।
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शिवलिंग को छिपाना पड़ा आक्रमण से बचाने की लिए -
ऐसा माना जाता है कि जब औरंगजेब द्वारा विनाश की खबर पंडित के कानों में पड़ी तो उन्होंने शिवलिंग को आक्रमण से बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी थी।यह भी माना जाता है की मंदिर - मस्जिद के अवशेषों के बीच अभी भी कुआं पाया गया है। इस कुएं को ज्ञानवापी के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के बहार बना शनि देव का मंदिर -
शनि देव को भगवान शिव की तलाश में वाराणसी में प्रवेश करना था। परन्तु उन्हें मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।
इसलिए शनि देव को भगवान शिव की तलाश में मंदिर के बाहर साढ़े सात साल तक रहना पड़ा। जिसके चलते बाद में काशी मंदिर के बहार शनि देव का मंदिर बनाना पड़ा। इसी वजह से आपको काशी विश्वनाथ मंदिर के बहार शनिदेव का मंदिर देखने को मिल जाएगा।
काशी विश्वनाथ से जुड़ी कुछ रोचक बाते | Some interesting facts related to Kashi Vishwanath