Advertisement :
भारतीय रेलवे के प्रमुख नियम | Major Rules of Indian Railways
Advertisement :
रेलवे के इन नियमो को जरुर जाने
सफर की दुनिया की बात करे तो रोजाना कई लोग अपनी मंजिल तक पहुचने के लिए इंडियन रेलवे की सहायता लेते है इंडियन रेलवे का जाल पुरे भारत में फैला हुआ है जिसके चलते इंडिया के 29 राज्य (state) आपस में जुड़े हुए हैं. भारत में लगभग हर व्यक्ति ने Railways के द्वारा सफर किया हुआ है, क्योंकि रेलवे के माध्यम से आप भारत के किसी भी शहर या कोने तक आसानी से जा सकते हैं. वहीं काफी लोगों को Indian Railways द्वारा यात्रा की टिकट और यात्रा से जुड़े बनाए गए नियमोँ के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है.पूरी जानकारी ना होने के चलते उन्हें कई दिक्कतों (Obstacles) का सामना भी करना पड़ता है. वहीं आज हम अपने इस लेख में आपको भारतीय रेलवे द्वारा बनाए गए कुछ महत्वपूर्ण नियमों(rules) के बारे में बताने जा रहे हैं. ताकि जब भी आप अगली बार भारतीय रेलवे द्वारा कोई सफर(journey) तय करें, तो आपको किसी नियम को लेकर कोई परेशानी ना उठानी पड़े
via: indiarailinfo.com
भारतीय रेलवे का इतिहास-
भारतीय रेलवे के इतिहास पर अगर नजर डाली जाए ,तो भारत की पहली रेल गाड़ी साल 16 अप्रैल 1853 को 3:35 बजे से शुरू की गई थी. इस तारीख को भारत के इतिहास(History) में पहली बार रेल मुंबई से थाने के बीच चलाई गई थी. जिसके बाद धीरे-धीरे करते हुए रेलवे को पूरे भारत में शुरू किया गया और आज के समय में भारत के हर राज्य मे रेलवे की सुविधा पहुंच गई है.
पीएनआर क्या होता है (PNR)
via: travelkhana.com
अब हम आपको भारतीय रेलवे की PNR की सेवा से परिचित करवाते है PNR का पूरा नाम पैसेंजर नेम रिकॉर्ड है ये आपके द्वारा टिकट बुक करने के बाद ही जनरेट होता है ये कुल 10 अंको (Digit) का नंबर होता है यह रेल्वे स्टेशनों से बुक क्लासिक रेल्वे टिकटों पर होता है, यह बुक किये गए रेल्वे टिकट के ऊपर बाएँ कोने पर पाया जा सकता है. रेल्वे सिस्टम को सीआरएस(CRS) के रूप में जाना जाता है जिसे सेंट्रल रिजर्वेशन सिस्टम यानि केन्द्रीय आरक्षण प्रणाली कहा जाता है. इसके डेटाबेस में यात्री का रिकॉर्ड होता है.
एसएल क्या है (SL)
via: prajavani.net
Railway में एस एल(SL) का मतलब स्लीपर क्लास होता है. यह स्लीपर क्लास भारतीय रेल्वे पर सबसे आम कोच होता है. आमतौर पर स्लीपर क्लास के 10 या उससे अधिक कोच ट्रेन रेक से जोड़े जा सकते हैं. यह नियमित रूप से सोने के कोच हैं, जिसमें 3 बर्थ होती हैं. ब्रॉड गेज में, 72 यात्रियों को प्रति कोच में लिया जा सकता है. इस कोच में एयर कंडीशनिंग (Air Conditioning)की सुविधा नहीं होती है.
Advertisement :
एसी क्या है - (AC)
via: indiarailinfo.com
रेल्वे में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कुछ एयर कंडीशनिंग कोच भी होते हैं, जिसकी टिकट आम तौर पर सामान्य स्लीपर कोच की तुलना में थोड़ी अधिक होती है. किन्तु इसमें भी कई क्लास होती हैं जोकि इस प्रकार हैं –
-
फर्स्ट क्लास एसी - यह सबसे महंगी क्लास है जहाँ Airlines के बराबर किराया लगता है. इसमें किराया के साथ बिस्तर शामिल होते हैं. यह कोच मेट्रोपोलिटन(Metropolitan) शहरों के बीच केवल लोकप्रिय मार्गों पर मौजूद होता है. आईसीएफ(ICF) कोच में 18 यात्रियों को लिया जा सकता है, जबकि एलएचबी कोच जो कि कुछ राजधानियों, ड्यूरोंटोस और एसी एक्सप्रेस में मौजूद होते हैं, में 24 यात्रियों को लिया जा सकता हैं. इसमें सोने(Sleep) के लिए आवास हैं और साथ ही व्यक्तिगत कूप जैसी प्राइवेसी(Privacy) सुविधाएँ भी होती हैं.
-
टायर AC - इस एयर कंडीशनर कोच में सोने के बर्थ, पर्याप्त पैर कक्ष, पर्दे और व्यक्तिगत रीडिंग लैंप होते हैं. इसमें बिस्तर लेने के लिए अलग से किराया नहीं देना होता है. एक ब्रॉड गेज में आईसीएफ कोच में 46 यात्रियों को लिया जाता है, जबकि नये एलएचबी कोच में 52 यात्रियों को लिया जा सकता है.
-
टायर एसी - इस कोच में एयर कंडीशन के साथ सोने के बर्थ होते हैं. बर्थ आमतौर पर 2 ए में व्यवस्थित होते हैं. इसमें शुल्क बाकि एसी कोचों की तुलना में थोड़ा कम होता है. इसमें कोई Reading lamps नहीं दिया जाता है, लेकिन हालही में इस कोच को भी बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है. इसमें भी बिस्तर किराये के साथ शामिल होते हैं. इसमें आईसीएफ कोच में 64 यात्री और नए एलएचबी कोच में 72 यात्रियों को लिया जा सकता है.
आरएसी क्या है (RAC)
RAC का मतलब है आपको सिर्फ बैठने के लिए ही सीट मिलेगी, लेकिन किसी यात्री (Traveler) के टिकट कैंसिल करवाने पर आपको सोने के लिए भी पूरी सीट मिल सकती है| यदि ट्रेन के रवाना होने से पहले भी आपकी टिकट की स्थिति RAC नंबर है, तो ट्रेन में चढ़ने से पहले स्टेशन पूछताछ(Inquire), टीटीई, या डब्बों पर लगे चार्ट पर से अपना सीट नंबर पता कर लें |
डब्लूएल (WL) क्या है
via: quoracdn.net
डब्लूएल जिसे वेटिंग लिस्ट कहा जाता है. किसी व्यक्ति द्वारा टिकट बुक करने पर यात्रियों के स्टेटस को डब्लूएल(WL) से मार्क किया जाता है तो इसका मतलब है कि वह यात्री वेटलिस्टेड स्टेटस में है. यह टिकट केवल तभी कनफर्म्ड(Confirmed) हो सकती है जब आपके पहले किसी यात्री ने कनफर्म्ड टिकट बुक की हो और वो उसे रद्द कराना चाहता है. उसके स्थान पर आपकी वेटिंग लिस्ट clear हो जाएगी. उदाहरण के लिए, यदि आपका स्टेटस WL 5 बता रहा है तो इसका मतलब है कि आपके पहले 5 यात्रियों की टिकट कनफर्म्ड हो जाने के बाद आपका नंबर आएगा. वेटिंग लिस्ट के भी कई प्रकार हैं जैसे जनरल वेटिंग लिस्ट, रिमोट वेटिंग लिस्ट, पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट, रिमोट लोकेशन जनरल वेटिंग लिस्ट, रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट एवं तत्काल वेटिंग लिस्ट आदि.
भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण नियम-
Indian Railways के नियमों की सूची काफी लंबी और बड़ी है. इस सूची में रेलवे में सफर करने से लेकर उसकी टिकट बुक करवाने के नियमों(rules) के बार में बताया गया है. वहीं हमने इन्हीं नियमों में से कुछ महत्वपूर्ण नियमों का उल्लेख(mention) नीचे किया है, जो कि इस तरह हैं.
कैसे बुक होती है रेलवे की टिकट-
ट्रेन में सफ़र करने के लिए आप या तो रेलवे स्टेशन पर जा कर टिकट बुक करवा सकते है या फिर आप घर बेठे अपने कंप्यूटर से भी ऑनलाइन टिकट बुकिंग करा सकते है |
ट्रेन की टिकट रद्द करवाने के नियम-
ट्रेन की टिकट रद्द करवाने को लेकर रेलवे के कुछ नियम हैं और उन नियमों के मुताबिक अगर टिकट कन्फर्म होने पर किसी व्यक्ति द्वारा उस टिकट को ट्रेन रवाना होने से पहले रद्द करवाया जाता है. तो आपकी टिकट में से कुछ पैसे काट लिए जायेंगे. नीचे इन्हीं नियमों(rules) के बारे में बताया गया है.
-
48 घंटे पहले टिकट रद्द करवाने पर कटने वाली राशि-
रेलवे के नियमों के तहत ट्रेन का टिकट अगर किसी व्यक्ति द्वारा ट्रेन के स्टेशन छोड़ने के बाद से 48 घंटे पहले रद्द करवा लिया जाता है, तो इस सूरत में उस व्यक्ति की टिकट राशि में से 240 रुपए काट दिए जाएंगे और उसको बचे हुए पैसे वापस मिल जाएंगे.
-
AC 2 टायर या फर्स्ट क्लास
वहीं अगर किसी व्यक्ति द्वारा AC 2 टायर या फर्स्ट क्लास की टिकट बुक करवाई जाती है और किसी कारण से अगर वो व्यक्ति इस ट्रेन की टिकट को रदद् कर देता है, तो उस व्यक्ति की Tickat में से 200 रुपए की राशि काट ली जाएगी.
-
स्लीपर क्लास और सेकंड क्लास
अगर कोई व्यक्ति स्लीपर क्लास और सेकंड क्लास की अपनी टिकट को रद्द करवाता है, तो उसको स्लीपर क्लास की टिकट रद्द करवाने की सूरत में 120 रुपये का चार्ज देना होगा. वहीं Second class के लिए ये राशि 60 रुपये तय की गई है.
-
48 से 12 घंटे पहले रद्द करवाने का नियम
वहीं नियम के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपनी कन्फर्म टिकट को ट्रेन रवाना होने से 48 से 12 घंटे पहले रद्द करवाता हैं, तो उसकी टिकट में से 25% रुपये को काट लिया जाएगा. वहीं अगर 12 से 4 घंटे की समय सीमा के बीच आप ऐसा करते हैं, तो आपकी टिकट की आधी राशि काट ली जाएगी.
ट्रेन देर होने पर रद्द करवाने के नियम-
किसी कारण से अगर ट्रेन अपने तय समय से 3 घंटे से ज्यादा देरी पर है और आप अगर इस सूरत में अपनी टिकट को रद्द(Canceled) करवाते हैं, तो आपकी पूरी राशि आपको मिल जाएगी. यानी आप से टिकट को रद्द करवाने पर किसी भी तरह का शुल्क(fee) नहीं लिया जाएगा. वहीं इसके अलावा Waiting list टिकट को ट्रेन रवाना होने के 30 मिनट पहले रद्द करवाने पर आपको पूरे रुपए दे दिए जाएंगे.
-
ऑनलाइन बुक टिकट रद्द करवाने के नियम-
रेलवे के नियमों के अनुसार Online के जरिए बुक करवाई गई ई-टिकट को केवल ऑनलाइन के जरिए ही रद्द करवाना होता है. वहीं टिकट रद्द(Canceled) करवाने पर आपकी राशि को उसी खाते में भेज दिया जाता है जिस खाते से ये टिकट बुक करवाई जाती है.
रेलवे में सफर करने के नियम-
via: thehindu.com
-
ट्रेन की बीच वाली सीट से जुड़ा नियम
अगर आप आरक्षित डिब्बों में यात्रा कर रहें हैं, तो आपको ये पता होना चाहिए कि आप केवल रात के 10 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक ही सो सकते हैं. ऐसा नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को बीच वाली सीट मिलती है, तो वो उस सीट को केवल रात के 10 बजे से लेकर 6 बजे तक ही खोल सके. ऐसा करने से train में सवार लोगों को बैठने की जगह मिल जाती है और उन्हें किसी तरह की परेशानी(Trouble) नहीं होती है.
-
टिकट खो जाने से जुड़ा नियम
अगर आप से अपनी टिकट खो जाती है. तो ऐसी स्थिति में आप जिस station से ट्रेन पकड़ने वाले हैं, उस स्ट्रेशन में जाकर आपको एक नई टिकट(Ticket) लेने के लिए एक आवेदन पत्र देना होगा. जिसके बाद आपको नकली टिकट दे दी जाएगी. वहीं याद रखें कि नकली टिकट के लिए आवेदन पत्र आपको ट्रेन के रवाना होने के 24 घंटे पहले तक देना होगा.
भारतीय रेलवे के प्रमुख नियम | Major Rules of Indian Railways