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कैसे भारत आयी ईस्ट इंडिया कंपनी किया 200 सालो तक राज | How Did India Come to East India Company

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नमस्कार दोस्तों ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम आज कौन नहीं जानता ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी दुनिया में व्यापार करने के तरीके के लिए काफी विख्यात रही लेकिन दोस्तों ईस्ट इंडिया कंपनी को दुनिया में पहचान तब मिली जब उन्होंने भारत में अपने कदम रखें और भारत में रहकर एक लंबे दौर तक यहां अपना व्यापार चलाया फिर भारत को गुलाम बना लिया जिस तरह ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में रहकर मुगलों के राज पर अपनी पकड़ मजूबत की और भारत पर अपना राज जमाया जिन्हे कभी भुलाया नहीं जा सकता दोस्तों ईस्ट इंडिया कंपनी अपने इस दौर में ऐसा समय भी देखा जब पूरी दुनिया में इनका राज था इसे आप कंपनी का भाग्य समझे या कुछ और लेकिन ईस्ट इंडिया ने अपनी बुद्धिमत्ता और सैन्य ताकत से कई राज्यों को अपने अधीन किया लेकिन दोस्तों आज हम ये जानने वाले है की आखिर ईस्ट इंडिया कंपनी के कदम भारत पर कैसे पड़े और इसके पीछे पूरा इतिहास क्या है तो चलिए दोस्तों आज इस बारे में विस्तार से जानते है
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ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में आने का पहला का मकसद व्यापार करना था सन 1600 के आस पास कुछ अंग्रेजी व्यापारियों ने भारत में व्यापार करने के लिए इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ से व्यापार करने के लिए अनुमति मांगी और व्यापार करने के लिए एक कंपनी की जरूरत थी इसी के चलते ईस्ट इंडिया कंपनी का निर्माण किया गया ईस्ट इंडिया के बनने के बाद सन 1608 पहली बार समुद्री रास्ते से हेक्टर नाम का जहाज रवाना किया गया और इस जहाज के कैप्टन थे सर विलियम हॉकिन्स इन जहाजों ने सबसे पहले भारत के सूरत के बंदरगाहों पर कदम रखा उस दौर में सूरत भारत के व्यापार का मुख्य केंद्र था और ईस्ट इंडिया भारत में व्यापार करने के मंसूबे से ही यहां आयी थी तब हॉकिन्स एक राजदूत के रूप में भारत की सत्ता पर स्थापित मुग़ल बादशाह जहाँगीर के पास गए एक इंग्लैंड के सम्राट का राजदूत होने के कारण जहाँगीर ने उनका भारतीय सस्कृति के अनुसार भव्य स्वागत किया और उन्हें यहां आने के लिए कई सम्मान भी दिए
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लेकिन दोस्तों जहाँगीर उस समय इस बात से बिलकुल अनजान थे की आज वो जिस मेहमान का स्वागत कर रहे कल उन्हीं के वंशज भारत पर राज करेंगे और उन्हीं के शासको और जनता को गुलामी की जंजीरो में जकड़ देंगे भारत में अंग्रेजो के आने से पहले पुर्तगाली यहां आ चूके थे और वे जहाँगीर को भी प्रभावित कर चूके थे तब हॉकिन्स के सामने सबसे बड़ी समस्या ये थी की वो अपने व्यापार की नींव ज़माने के लिए भारत से पुर्तगालियों को कैसे हटाए और तब उसने एक प्लान के मुताबित जहाँगीर को पुर्तगालियों के खिलाफ भड़काने का कार्य करने लगा इस कार्य की शुरुआत में उसे कई मुश्किलें आयी लेकिन बाद में धीरे धीरे वो अपनी इस योजना में सफल हो गया इस दौरान वो जहाँगीर से अपने लिए कुछ विशेष अधिकार और सुविधाएं लेने में भी कामयाब रहा चारो तरह से मजबूती मिलने के बाद हॉकिन्स ने पुर्तगालियों के जहाजों पर हमला बोल दिया और उन्हें लूट लिया
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हॉकिन्स भारत में जल्द से जल्द सूरत से पुर्तगालियों का खात्मा करना चाहते थे और अपना व्यापार शुरू करना चाहते थे तब अपनी चतुराई से उन्होंने 6 फ़रवरी 1663 को उसने मुग़ल सम्राट जहाँगीर से एक शाही फरमान जारी करवा लिया इस फरमान के तहत अंग्रेजो को सूरत में रहकर फैक्ट्री लगाकर व्यापार करने की अनुमति मिली गई साथ ही ये फरमान भी जारी किया की उनके दरबार में इंग्लैंड का एक राजदूत रहा सकता है इसी कड़ी में में सर थॉमस रो को 1615 में के राजदूत के रूप में भारत लाया गया
जब थॉमस रो भारत पहुंचे तब उन्होंने इस बात का अनुमान लगा लिया की भारत में पुर्तगाली आगे उनके व्यापार में कठिनाइयां पैदा कर सकते है और इस बात से सभी अंग्रेजी अफसर अवगत थे इसी के चलते थॉमस रो को भारत में राजदूत के रूप में बुलाया गया था क्योंकि दोस्तों थॉमस रो उस समय पुरे ब्रिटेन में कूटनीति की राजनीती के लिए मशहूर था ऐसा माना जाता है की थॉमस रो इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ का काफी करीबी भी था
अपनी इन जिम्मेदारियों को समझते हुए थॉमस रो ने भारत आने के कुछ समय बाद ही अपने काम में जुट गए सबसे पहले उन्होंने सब समस्याओ को विस्तार से समझा और उनके हल पर गहन मंथन किया और योजना तैयार की तब पुरे मंथन के बाद उनकानिष्कर्ष निकला की यदि उन्हें भारत में सही तरीके से राज करना है तो उन्हें मुग़ल बादशाह जहाँगीर से एक बार फिर एक सही शाही फरमान जारी करवाना होगा और अपनी इसी योजना के लिए उन्होंने हॉकिन्स का साथ लिया और जहाँगीर के राज दरबार में पहुंच गए और तब उन्होंने अपनी चतुराई से पुरे वाख्य का वर्णन किया वो इसमें सफल हो गए साथ ही उन्होंने जहाँगीर को इस बात का भी भरोसा दिलाया की अंग्रेज पुर्तगालियों से भी ताकतवर है साथ ही वो ना सिर्फ भारत को व्यापार में अधिक मुनाफा देंगे साथ ही उन्हें सुरक्षा भी देंगे
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तब जहाँगीर उनकी इस बात से सहमत हो गए और तब दोनों के बीच ये तय हुआ की कंपनी को कार्य के लिए विशेषाधिकार दिए जाएंगे और थॉमस रो ने 1615 से 1618 के व्यापार के सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त कर लिए जैसे ही ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार के लिए विशेषाधिकार प्राप्त हुए उन्होंने अपने कारखाने लगवाने शुरू कर दिए और उन्होंने अहमदाबाद बहरामपुर आगरा और सूरत में अपनी कंपनी की फैक्ट्रियां खोल दी और साथ ही बंगाल का इलाका समुन्द्र तट से जुड़ा हुआ था इस वजह से उसे भी व्यापार से जोड़ा गया और यहां भी ईस्ट इंडिया ने फैक्ट्रियां स्थापित कर दी
इसी तरह धीरे धीरे ईस्ट इंडिया ने पुरे भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली एक समय जब पुर्तगाली अंग्रेजो के लिए मुसीबत बने हुए थे उनका भी दमन कर ईस्ट इंडिया भारत में व्यापार में काफी मजबूत हो गई थी दोस्तों आगे ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास गवाह है की इसने कितनी तेजी से अपने व्यापार को भारत में आगे बढ़ाया था भारत में एक छोटी सी पूंजी के साथ कदम रखने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में किसी ने नहीं सोचा था की वो भारत पर इस तरह राज करने वाली है वो भी करीब 200 सालो तक क्योंकि भारत में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था धीरे धीरे उसने भारत को गुलामी की जंजीरो में जकड़ लिया और इस तरह रहा भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज.
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