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भारत की पहली महिला ब्लेड रनर किरण कनौजिया | India First Female Blade Runner Kiran Kanojia In Hindi

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जिदंगी से जंग लड़ अपने जीवन को सफलता की ऊंचाईयो की और ले जाने वाली स्टोरी हम सब के सामने कई बार आती रहती है। जीवन में आएं संघर्ष के बाद उससे हार स्वीकार न करते हुए उसका सामना करना ही जिदंगी है। हमारी आज की स्टोरी भी कुछ ऐसी ही है उनका कहना है की “ जिंदगी जो एक बेचैन हवा है , कहां से आई कहां गई कोई पता नही , बस चलती रहती है। जीवन का हर दुसरा पल हमें उठा भी सकता है और गिरा भी सकता है। एक दिन ऐसा भी हो सकता है जब जीवन में जो सोचा भी नही वो हो जाएं चाहे वो फिर हमारे लिए अच्छा हो या बुरा। इस दौरान जीवन में मुख्य बात होती है की आप इस बदलाव को लेकर जीवन में कैसे आगे बढ़ते हो ? तो चलिए देश की पहली महिला ब्लेड रनर बनी किरण कनौजिया के इस सफर को शुरुआत से जानते है। - India First Female Blade Runner Kiran Kanojia In Hindi
कपड़ो के प्रेस कर माता-पिता कमा पाते महज 2000 रुपये
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भारत की पहली महिला ब्लेड रनर बनी किरण कनौजिया ने अपने जीवन की सघंर्ष भरी कहानी “ ह्यूमप ऑफ बॉबे ” के साथ शेयर करते हुए बताया की - हमारे परिवार का गुजारा चलाने के लिए मेरे माता-पिता प्रेस का काम करते थें। पुरे महीने काम करने के बावजूद प्रेस के काम से 2000 रुपये तक ही कमा पाते थें। इन हालातो में घर की आम जरुरतो को पुरा करने के लिए भी हमें संघर्ष करना पड़ता था। कई बार महीनो तक बिजली का बिल नही भर पाते थें। ऐसा भी समय था जीवन में की हम 3 भाई बहन अपनी पढ़ाई स्ट्रीट लाईट के नीचे बैटकर पुरा करते थें।
बदलने लगे घर के हालात
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एक तरफ घर के हालात दुसरी तरफ हमारी शिक्षा, लेकिन मैने घर के हालातों को शिक्षा के आडे़ नही आने दिया 12 कक्षा में पुरी मेहनत के साथ पढ़ाई की । 12 कक्षा में अच्छें अकों के साथ पास होने के कारण मेरा दाखिला एक अच्छी यूनिवर्सिटी में हो गया। सफर थमा नही मैने फर्स्ट इयर में टॉप किया और कॉलेज की तरफ से मुझे आगे के कोर्स के लिए स्कालरशिप प्रदान की गई। सपने सच होते गए मुझे एक अच्छी जॉब भी मिल गई घर के हालात भी सुधरने लगे लेकिन मेरी कहानी के इस मोड़ पर जिंदगी को कुछ और ही मजूंर था।”
इस दिन ने बदल दी जिंदगी
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दिन था किरण के 25 वें जन्मदिन का। अपनी दिनचर्या के अनुसार वो शाम को ट्रेन से घर आ रही थी। वो टै्रन के गेट के पास ही खड़ी थी , इस दौरान दो लोग उनके पास आएं और बैग छीनने की कोशिश करने लगे। किरण से बैग छीनने के बाद वो ट्रैन से कूद गए लेकिन साथ में उनका हाथ भी नीचे खेंच लिया। वो दोनो तो इस दौरान भाग गए मगर किरण का पैर ट्रैक के बीच फंस गया। ट्रैन के ऊपर से गुजरने के कारण उनका एक पैर ट्रैन की बोगियों से कट चुका था मौके पर मौजूद लोगो ने उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया । डॉक्टर ने बताया की वो इस पैर को ठीक नही कर सकते इसे काटना पड़ेगा । डॉक्टर के इस जबाब के बाद पैर काटने से पहले ही परिवार के हालातो के बारे में सोच किरण की उम्मीदें टूटने लग गई।
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डॉक्टर ने कहा चल सकती हो दौड़ नही सकती
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इस हादसे के बाद पुरे एक माह तक बेड रेस्ट पर रहने के बाद डॉक्टर्स ने उनके कटे हुए पैर की जगह ( प्रोस्थेटिक यानी कृत्रिम पैर ) पैर लगा दिया। यह किरण को राहत देने वाला पल था। प्रोस्थेटिक पैर लगाने के बाद जब उनको पैर में दर्द महसूस हुआ तब उन्होंने यह बात रुटीन चेकअप डॉक्टर को बताई। तब डॉक्टर ने हैरानी भरा जबाब देते हुए कहा की “ कुछ स्टेपल्स पैर में ही रह गए है , साथ ही डॉक्टर ने कहा की “ अब तुम चल फिर सकती हो इससे स्टेपल्स से कोई फर्क नही पड़ेगा मगर “ तुम अब कभी दौड़ नही पाओगी।”
ठानी सबको गलत साबित करने की
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जीवन के इस बड़े हादसे के बाद किरण ने जीवन को थामने के बजाय फिर से नौकरी की शुरुआत की। वो हर प्रयास ढूढने लगी जिससे फिर से एक सामान्य जिंदगी जी सकें। उम्मीदें आगे बढ़ी और वो रिहैब सेंटर पहुंची जहां पर पैरा - एथलिट की तैयारी करवाई जाती थी। यहीं से किरण ने तय किया की वो चलेगी नही दौड़ेगी और एक दिन सब को गलत साबित कर देगी।”
बन गई देश की पहली महिला ब्लेड रनर
रिहैब में रनिंग की ट्रैनिंग शुरु करने के बाद किरण ने अपनी पुरी मेहनत व इस ट्रैनिंग में झांक दी। सफलता थी की वो अब दौड़ने लगी। अपने पहले ही प्रयास में मैराथन की 21 किलोमिटर की दौड़ पुरी कर किरण ने बता दिया जीवन में जल्दी हार स्वीकार नही करनी चाहिए। आज किरण लगातार मैराथन दौड़ रही है। इस तरह वो भारत की पहली महिला ब्लेड रनर भी बन गई।
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भारत की पहली महिला ब्लेड रनर किरण कनौजिया | India First Female Blade Runner Kiran Kanojia In Hindi