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रात में ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शवयात्रा इस तरह होता है अंतिम संस्कार | Kinnar Death

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किन्नर जिन्हें हम आम भाषा में हिजड़ा, थर्ड जेंडर कहते है दोस्तों ये बात हम सभी जानते है ये ना महिला का रूप होते ना पुरुष का इनके जीने के तौर तरीके सब अलग होते है आज हमारी संस्कृति में लोग किन्नर लोगो की इज्जत नहीं करते और उन्हें गलत भाव से देखते है मन ही मन तरह की बातें करते है दोस्तों इनकी जीवन प्रणाली थोड़ी हटकर है इस समाज में मौत के बाद अंतिम संस्कार थोड़ा अलग है ये रात के समय शवयात्रा निकालते है आखिर इसके पीछे क्या कारण है?
दोस्तों आप और हम सभी ने आज तक किन्नर समाज के लोगों की शवयात्रा नहीं देखी क्योंकि ये शवयात्रा रात के समय निकालते है और बिना आवाज किये ताकि इन्हें इस दौरान कोई देख ना ले किन्नर समाज के लोग खुद को भगवान का एक श्राफ समझते है और इस किन्नर समाज के लोगों का मानना है की यदि शवयात्रा के दौरान उन्हें कोई देख लेता है तो उसे अगले जन्म में भी किन्नर बनकर पैदा होना पड़ता है.
किन्नर समाज में मौत हो जाने पर वो अपने समुदाय से जुड़े लोगों को भी नहीं बुलाते है रात के समय ही ये अंतिम संस्कार का कार्यक्रम करते है किन्नर ये पूरी प्रक्रिया लोगों से छुपाकर करते है ताकि अन्य लोगों पर इस का बुरा असर ना पड़े और रात के समय ये कार्य करने में ये ज्यादा सुविधाजनक मानते है.
इस तरह होता है किन्नर का अंतिम संस्कार | Kinnar Ka Antim Sanskar
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किन्नर समाज के लोग अंतिम संस्कार की प्रक्रिया इस्लामिक रीती के अनुसार करते है यानि इन्हें जलाया नहीं जाता जमीन में दफनाया जाता है. ये लोग शव को दफ़नाने के लिए ऐसी जगह तलाश करते है जहां लोग आसानी से पहुंच नहीं पाये. किन्नर को दफनाने के लिए अन्य कोई व्यक्ति नहीं होता है इन्हीं के लोग इस अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अंतिम रूप देते है.
मौत के बाद पीटा जाता है चपलो से | Death After Kinnar
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Source wahgazab.com
जब भी किन्नर समाज में किसी की मौत होती है तब एक हैरान कर देनें वाला वाक्या होता है जो आप सुन कर हैरान हो जाएंगे जब भी किन्नर की मौत होती है तब उसे दफ़नाने से पहले जूते और चपलो से घंटो तक पीटा जाता है ये ऐसा इस वजह से करते है ताकि उसे अलग जन्म इस रूप में ना मिले।
शव को काफी देर तक पीटा जाता है ये काम सभी किन्नर मिल कर करते है. बाद में उसे दफ़नाने के लिए ले जाते है किन्नर जाती में ये एक अलग ही रिवाज है.
किन्नर की मौत पर मनाते है खुशिया
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सभी धर्मो में मौत के बाद परिवार में मातम का माहौल हो जाता है लेकिन किन्नर समाज में ऐसा नहीं होता है मौत के सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सभी किन्नर मिल कर उसकी मौत की खुशी मनाते है और दान -धर्म करने में लग जाते यही किन्नर समाज का मानना है की उन्हें इस नर्क की जिंदगी से मुक्ति मिल गई है इस कारण वो लोग इसे खुशी के रूप में मानते है.
किन्नर की दुनिया से चला जाना शुभ माना जाता है अगले जन्म में कुछ अच्छा मिलेगा ये प्राथना सभी किन्नर लोगों की होती है और दान -धर्म वो इसलिए करते है की एक बार किन्नर की जिंदगी जीने के बाद उसे दोबारा ये जन्म ना मिले और किन्नर की जिंदगी ना जीनी पड़े.
किन्नर की शादी | Kinnar Marriage In Hindi
किन्नर समाज के बारे ये बात जो कम ही लोग जानते है की किन्नर की शादी होती है या नहीं दोस्तों किन्नर की शादी होती है वो भी महज एक दिन के लिए किन्नरों के देवता आराध्य देव एक दिन के लिए इनसे शादी करते है और अगले दिन ही ये रिश्ता अपने आप टूट जाता है सभी किन्नर अपने जीवन में ये प्रक्रिया एक बार करते है किन्नर के जीवन में कभी सांसारिक जीवन के नियम नहीं जुड़ते है इस समाज के खुद के नियम और तौर तरीके होते है ये उन्हीं के अनुरूप अपना जीवन बिताते है.
दोस्तों जीवन में जब कभी भी किन्नर समाज के लोग मिले तो उन्हें अलग नजर से ना देखें वो भी भगवान का बनाया हुआ एक रूप है अगर आपसे वो कुछ मांगते है तो अपनी श्रद्धा अनुसार उन्हें भेंट करे क्योंकि इस किन्नर समाज में मांग कर खाने की परंपरा है.