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शहीद उधम सिंह का जीवन परिचय | Shaheed Udham Singh's Biography In Hindi

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शहीद उधम सिंह का जीवन परिचय | Shaheed Udham Singh Biography In Hindi
700 वर्षों तक मुस्लिम शासकों और 250 वर्षों तक अंग्रेजी शासन के नीचे दफ़न हो चुके भारत वर्ष को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया था हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनके द्वारा किये गए अभूतपूर्व प्रयासों ने भारतीय जनमानस को आखिरकार 15 अगस्त 1947 को आजादी की खुशबू से सरोबार कर ही दिया| आज हम गुलामी की बेड़ियों से निकलकर आजादी की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं तो इसके पीछे न जाने कितने क्रांतिकारियों का बलिदान भी समाहित है , जो हमें आज इस मुकाम तक पहुचाने में कामयाब रहा|
इन्ही क्रांतिकारियों की सूची में एक नाम आता है शहीद उधम सिंह का जिनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सनाय नामक गांव में कम्बोज परिवार में हुआ था| उस वक़्त पंजाब ब्रिटिश सरकार के आधीन था| 1901 में ही उधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया था| लिहाजा उधम सिंह को अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ अनाथालय की शरण लेनी पड़ी थी| अनाथालय में उनकी जिंदगी सामान्य चल रही थी|
बचपन में शेर सिंह व बड़े होकर उधम सिंह या साधु के नाम से बुलाये जाने वाले भारत माता के इस वीर सपूत के बड़े भाई का 1917 में देहांत हो गया| वह पूरी तरह अनाथ हो गए और उन्होंने 1919 में अनाथालय भी छोड़ दिया और अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह "आजाद इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार" रख लिया था और सर्वधर्म सद्भाव की विचारधारा के इस समर्थक ने जनरल डायर का वध करने के लिए क्रांतिकारिओं के समूह से स्वयं को जोड़े रखा|
क्योंकि वे जलियाँवाला बाग हत्याकांड जिसे जनरल डायर ने अंजाम दिया था, से काफी मर्माहत थे| उनके मन में अंग्रेजी शासन के खिलाफ काफी गुस्सा भरा हुआ था| वास्तव में उधम सिंह 13 अप्रैल 1919 को घटित इस नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे|
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उन्होंने जलियावाला बाग़ की मिटटी हाथ में लेकर शपथ ली थी की वो मायकल डायर को सबक सिखाएंगे उसके लिए उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका, नैरोबी,ब्राज़ील और अमेरिका की यात्रा की| सन 1934 में उधम सिंह लंदन पहुंचे, वहां 1 एल्डर स्ट्रीट कोम्मेर्सेस रोड पर रहने लगे| उन्होंने अपने तमाम कोशिशों को जारी रखा और 13 मार्च 1940 में 21 साल बाद आखिर डायर को रॉयल एशियाई सोसाइटी की लंदन कांफ्रेंस हॉल की बैठक में किताब में छिपाई लायी गयी रिवाल्वर से मौत के घाट उतारने के मौके को अंजाम में बदल ही दिया|
डायर को 2 गोली लगी और उसकी वहीँ तत्काल मृत्यु हो गई| उधम सिंह ने भागने की कोई कोशिश नहीं की| 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को यू के के पेटन वीले जेल में फांसी दे दी गयी| इस प्रकार भारत माता का ये महान सपूत अपने प्राणो की आहूति देकर भारत माता के जननी होने के ऋण से मुक्त हो गया|
शहीद उधम सिंह का जीवन परिचय | Shaheed Udham Singh's Biography In Hindi