Advertisement :
A PHP Error was encountered
Severity: Warning
Message: Undefined array key 0
Filename: views/detail.php
Line Number: 150
Backtrace:
File: /home/storytimes/public_html/hindi/application/views/detail.php
Line: 150
Function: _error_handler
File: /home/storytimes/public_html/hindi/application/views/detail.php
Line: 176
Function: getBrowser
File: /home/storytimes/public_html/hindi/application/controllers/Home.php
Line: 122
Function: view
File: /home/storytimes/public_html/hindi/index.php
Line: 317
Function: require_once
महान क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जीवन परिचय । Thakur Roshan Singh Biography In Hindi
Advertisement :
शहीद क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह की जीवनी | Thakur Roshan Singh In Hindi
- पूरा नाम - ठाकुर रोशन सिंह
- जन्म दिनांक - 22 जनवरी 1892
- जन्म स्थान - शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश )
- पिता का नाम - जंगी राम
- माता का नाम - कौशल्यानी देवी
- मृत्यु दिनांक - 1927 (फांसी की सजा )
नमस्कार दोस्तों हमारे लेख में एक बार फिर आपका स्वागत है दोस्तों देश की आजादी के लिए देश के कई वीरों ने बलिदान दिया और अपने देश को गुलामी की जंजीरो से मुक्त किया ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे रोशन सिंह इन्हें साल 1921-22 में हुए "असहकार आंदोलन" के दौरान बरेली शूटिंग केस में सजा सुनाई गई थी। इस मामले से बरी होने के बाद रोशन सिंह साल 1924 में हिंदुस्तान "रिपब्लिकन एसोसिएशन" यह भारत की आजादी के पहले उत्तर भारत की एक क्रांतिकारी पार्टी थी इसमें शामिल हो गए। 9 अगस्त 1925 में देश में हुए "काकोरी कांड" में ब्रिटिश सरकार को अंदेशा था की इस कांड में रोशन सिंह भी शामिल थे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मौत की सजा सुनाई गई.
ठाकुर रोशन सिंह का जन्म व परिवार
Source bansalnews.com
इस महान क्रांतिकारी का जन्म 22 जनवरी 1892 को नवाडा गांव के एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जंगी राम और माता का नाम कौशल्यानी देवी था। वर्तमान में नवाडा गांव उत्तर प्रदेश राज्य के शाहजहांपुर में स्थित है। रोशन सिंह एक अच्छे शूटर रेसलर थे। इसके साथ अपने जीवन में रोशन सिंह लंबे समय तक शाहजहांपुर के आर्य समाज से जुड़े हुए थे। जब साल 1921 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय कांग्रेस के वालंटियर कोर्प्स पर बंदी लगा दी थी । तब देश के सभी राज्यों ने इस निर्णय का विरोध किया था। ठाकुर रोशन सिंह ने उस समय शाहजहांपुर जिले से बरेली भेजी जा रही सेना वालंटियर्स की बागडोर संभाली थी। राज्य की पुलिस ने इसे रोकने के लिए फायरिंग की और रोशन सिंह के साथ कई लोगो को गिरफ्तार कर लिया और उन पर इस मामले में केस बना कर 2 साल तक बरेली की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया.
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने किया अपनी क्रांतिकारी सेना में शामिल
जब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में उनका अभिनन्दन किया गया था तब से वो उस क्षेत्र की मोटी और असभ्य भाषा के लिए प्रसिद्ध थे । जब रोशन सिंह जेल में थे तब उनके साथ जेलर ने काफी बुरा बर्ताव किया था। उनके साथियो के अनुसार उनको जेल में काफी यातनाएं सहनी पड़ी थी। और उन्होंने जेल में तय कर लिया था की उनके साथ हुए इस बर्ताव का बाहर जा कर बदला जरूर लेंगे। जब रोशन सिंह 2 साल के बाद बरेली की सेंट्रल जेल से बरी हुए वो वहां से शाहजहांपुर चले गए और वहां जाकर वे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल से मिले । राम प्रसाद बिस्मिल को अपनी क्रांतिकारी पार्टी के लिए एक अच्छे शूटर की जरूरत थी और वो रोशन सिंह के मिलने के बाद पूरी हो गई। और राम प्रसाद बिस्मिल ने उसी समय रोशन सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया और उन्होंने ठाकुर रोशन सिंह को अपने सभी क्रांतिकारियों को शूटिंग की ट्रेनिंग देने के लिए कह दिया.
"हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन" उस समय पैसा जमा करने के लिए काफी प्रयत्न कर रहे थे। समाज के बड़े और अमीर लोग इस युवा संस्था को एक भी रुपया नहीं देना चाहते थे। और दूसरी तरफ कांग्रेस की "स्वराज पार्टी" को दोनों हाथो से पैसे देते थे। ऐसा होते देख संस्था प्रमुख पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने ठाकुर रोशन सिंह को इन सभी के घरो में चोरी करने की सलाह दी। इस तरह राम प्रसाद बिस्मिल इस को एक नए मोड़ की और खींचा और इस करवाई को एक अलग नाम दिया। ऐसा कहा जाता है की ये उनकी पार्टी का एक कॉड वर्ड था।
काकोरी कांड मै आया नाम
Advertisement :
अपने एक ने मिशन में 25 दिसम्बर 1924 को बलदेव पर हमला कर दिया गया ये हमला HRA के एक्शन-मैन कहे जाने ठाकुर रोशन सिंह के नेतृत्व हत्या की गई । बलदेव लोगो को ब्याज पर पैसे उधार देता और शुगर किंग का व्यापार करने वाला व्यक्ति था। जब ये कांड किया गया तब उनके हाथ 4000 रूपये लगे और कुछ हथियार भी वो वहां से चोरी कर लाये। बलदेव के गांव के रेसलर मोहन लाल ने इस दौरान उन्हें चुनौती दी और उन पर फायर किया जैसे की मैने बताया रोशन सिंह खुद एक अच्छे शूटर थे उन्होंने एक गोली में ही मोहन लाल को चित कर दिया और उसकी बंदूक भी ले भागे.
बमरौली कार्यवाही मे की रेसलर मोहन लाल की हत्या
9 अगस्त 1925 में काकोरी में हुए "काकोरी कांड " में क्रांतिकारियों ने ट्रैन पर हमला कर सरकारी खजाना लूट लिया था लेकिन इस लूट में ठाकुर रोशन सिंह शामिल नहीं थे। फिर भी ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और रेसलर मोहन लाल के मर्डर करने के जुर्म में मौत की सजा सुना दी। जब रोशन सिंह को सजा सुनाई जा रही थी तब जज ने धारा-121 (A) और 120 (B) के तहत उन्हें पांच साल की सजा सुनाई। जब रोशन सिंह को सजा सुना दी गई तब रोशन सिंह ने जज से सिफारिश की उन्हें पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बराबर गुनाहों की सजा न सुनाये तभी उसी समय विष्णु शरण दुब्लिश ने उनके कान में ठाकुर साहब आपको पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बराबर ही सजा मिलेगी ये बात सुन कर तुरंत खड़े हो गए और राम प्रसाद बिस्मिल के गले लग गए और कहा "ओये पंडित! क्या तुम फाँसी तक भी अकेले जाना चाहोंगे? ठाकुर अब तुम्हे और अकेला नही छोड़ना चाहता। यहाँ भी वह तुम्हारे ही साथ जायेंगा।"
मलाका जेल से लिखा अपने भाई को अंतिम पत्र
जब इस सजा के बाद ठाकुर रोशन सिंह को मलाका जेल में डाल दिया गया तब रोशन सिंह ने अपने भाई हुकुम सिंह को एक पत्र लिखा -" मनुष्य जीवन भगवान की सबसे सुंदर रचना है और में इसे पाकर काफी खुश हूँ मै अपने इस जीवन का बलिदान भगवान की गई रचना के लिए कर रहा हूँ । अपने गांव मै पहला व्यक्ति हूँ जो अपने परिवार को इस तरह गौरवान्वित करने वाला है। मुझे इस नश्वर शरीर के मरने का कोई पछतावा नहीं है जो कभी भी किसी भी वक्त खत्म हो सकती है। आप मेरी मौत को लेकर कोई चिंता ना करे अब मै भगवान की गोद मै शांति से सोने जा रहा हूँ "
Read More - महान क्रांतिकारी जतिंद्र मोहन सेनगुप्त की जीवनी
महान क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जीवन परिचय । Thakur Roshan Singh Biography In Hindi