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गीता फोगाट के संघर्ष एवं सफलता की पूरी कहानी | Gita Fogat Biography In Hindi

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गीता फोगाट की जीवनी | All About Gita Fogat Biography In Hindi
- नाम- गीता फोगाट
- जन्म- 15 दिसंबर 1988 (29 साल )
- जन्म स्थान- भिवानी (हरियाणा)
- शिक्षा - महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय
- पिता का नाम - महावीर सिंह फोगाट
- माता का नाम - दया कौर
- पति का नाम - पवन कुमार ( फ्रीस्टाइल कुश्ती खिलाड़ी इंडिया )
- परिवार सदस्य नाम - बबीता कुमारी, रितु फोगाट, संगीता फोगाट (तीनो बहने )
- अवार्ड - कुश्ती के लिए अर्जुन पुरस्कार
राष्ट्रमंडल खेलों मे पहली बार महिला फ्री स्टाइल कुश्ती में सर्वप्रथम स्वर्ण पदक जीतने वाली गीता फोगाट हरियाणा के बिलाली गाँव की रहने वाली हैं। ओलंपिक खेलों मे क्वालीफ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान होने का सम्मान भी गीता फोगाट को ही मिला है। दिसंबर 2016 में रिलीज हुई दंगल फिल्म इन्हीं पर आधारित है। गीता फोगाट एक ऐसे परिवार से है जहां कुश्ती पारिवारिक खेल है। उनके परिवार में उनके अलावा उनके पिता महावीर सिंह फोगाट और बहन बबीता भी पहलवान हैं। उनके पिता महावीर सिंह फोगाट अपने समय के प्रसिद्ध पहलवान रह चुके हैं। महावीर सिंह फोगाट को खेलों में दिये गए अपने योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गीता फोगाट की बहन बबीता कुमारी और चचेरे भाई दिनेश फोगाट ने भी कामन वेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीते हैं। उनकी दूसरी बहने ऋतु और संगीता भी कुश्ती के क्षेत्र में ही हैं। गीता फोगाट की माता का नाम दया कौर है।
शुरुवाती जीवन
गीता फोगाट का जन्म 15 दिसम्बर 1988 को भारत के छोटे से गावं बलाली के भिवानी जिला, हरियाणा में हुआ था. गीता का शुरूआती जीवन संघर्षो से भरा है. जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी कैसे रास्ते बनाये जाते है इसका अच्छा उदहारण गीता फोगाट है. गीता फोगाट अपनी बहनों में सबसे बड़ी है उन्होंने लड़का लडकियों के बीच हो रहे भेदभाव(discrimination) को मिटाने की कोशिश करते हुए पहलवानी के क्षेत्र को चुना और उसमे अच्छा मुकाम(Peer) बनाया. गीता के पिता कर्णम मलेश्वरी का जीवन परिचय से प्रेरित थी. उन्होंने छोटे उम्र से ही उन्हें पहलवानी के दाव पेंच(Screw bets) सिखाने लगे और अच्छी तरह वो पहलवानी में प्रशिक्षित हो इसलिए उनके पिता ने उसका स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ़ इण्डिया में दाखिल करा दिया.
कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता पहला गोल्ड मैडल
कुश्ती के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करने वाली गीता फोगाट 2009 में पंजाब में आयोजित कामन वेल्थ गेम्स से अंतर्रास्ट्रीय स्तर पर प्रकाश में आयीं जब उन्होने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता । इसके बाद ही गीता फोगाट ने 2010 में नयी दिल्ली में आयोजित कामन वेल्थ गेम्स में पहला स्वर्ण पदक जीता। इस सफलता के बाद गीता फोगाट ने राष्ट्रीय और अंतर्रास्ट्रीय स्तरों पर एक के बाद एक नए आयाम स्थापित किए हैं । गीता फोगाट ने 2012 की विश्व कुश्ती चैंपियनशिप और उसी वर्ष एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते हैं। 2013 में साउथ अफ्रीका के जोहानसबर्ग में कामन वेल्थ रेस्लिंग चैंपियनशिप में गीता फोगाट ने 59 किलो वर्ग की फ्री स्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीता था।
आलोचना के बावजूद पिता ने नही बदला मुकाम
गीता फोगाट का बचपन उनके पिता के संरक्षण मे कठिन परिश्रम में बीता था। गीता के पिता गीता और बबीता को भोर में ही उठाकर दौड़ने और कसरत करने का अभ्यास कराते थे। इसके बाद दोनों बहनो को गाँव के ही अखाड़े में कई घंटों का अभ्यास करना पड़ता था। गीता को लड़कों के साथ कुश्ती के मुक़ाबले भी करने पड़ते थे। किन्तु उनके गाँव में लड़कियों के कुश्ती सीखने पर काफी नाराजगी हुई । गाँव के लोग गीता फोगाट और उनके परिवार की आलोचना करने लगे । लेकिन गाँव वालों की इस रूढ़ीवादी व्यवहार का महावीर सिंह फोगाट के ऊपर कोई असर नहीं हुआ और वो गीता फोगाट को प्रशिक्षण देते रहे। इतना ही नहीं गाँव के लोगों ने गीता फोगाट के कुश्ती सीखने पर अपनी बेटियों को उससे मिलने जुलने पर रोक लगा दी। गाँव वालों के आलोचना करने पर महावीर फोगाट एक ही जवाब देते थे- जब लड़की प्रधानमंत्री बन सकती है तो पहलवान क्यों नहीं बन सकती। महावीर सिंह फोगाट की यह दूरदृष्टि काम आयी और गीता फोगाट ने कुश्ती में वो मुकाम हासिल किए जो उससे पहले किसी भारतीय महिला ने हासिल नहीं किए थे ।
कर्णममल्लेश्वरी से मिली आगे बढ़ने की प्रेरणा
गीता फोगाट के पिता महावीर सिंह को सन 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी के वेट लिफ्टिंग में कांस्य पदक जीतने पर बहुत प्रेरणा मिली। कर्णममल्लेश्वरी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं। महावीर सिंह फोगाट ने निश्चय कर लिया कि जब कर्णम मल्लेश्वरी को ओलंपिक मेडल मिल सकता है तो मेरी बेटियाँ भी मेडल जीत सकती हैं। इसके बाद से महावीर सिंह ने अपनी बेटियों को चैम्पियन बनाने का कार्य और तेज कर दिया । महावीर सिंह फोगाट अस्सी के दशक के एक प्रसिद्ध पहलवान रह चुके थे। इसके साथ ही वह गीता फोगाट के लिए कोच का काम भी करने लगे। गीता का कहना है की उनके पिता ने हमेशा उसे यह एहसास कराया की वह लड़कों से कम नहीं है । गीता फोगाट को मिली सफलता ने उनके पैतृक गाँव और हरियाणा के उन तमाम रूढ़ीवादी गाँव जो की जन्म से पहले ही बेटी की भ्रूण हत्या के लिए बदनाम है, के लोगों की सोच को बदल कर रख दिया है । अब उनके गाँव मे बेटी होना अपशगुन नहीं माना जाता । यह गीता फोगाट की ही सफलता है जिसने हरियाणा के गावों में बेटियों के पढ़ने लिखने और नए अवसरों के दरवाजे खोल दिये है, अब लड़कियां किसी भी क्षेत्र मे जाकर अपना भविष्य बना सकती हैं। गीता फोगाट के गाँव के जिन लोगों ने उसपर ताने मारे थे आज वही लोग उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते हैं। गीता की दादी की सोच भी अब बदल चुकी है। अब गीता की दादी का कहना है की ऐसी बेटियाँ भगवान सौ दें तो भी कम है।
कुश्ती में गीता फोगाट के योगदान को देखते हुए हरियाणा सरकार ने इन्हें पुलिस में डिप्टी सुपरिन्टेंडेंट बनाया है। महावीर सिंह फोगाट और गीता फोगाट की सफलता की कहानी हिंदुस्तान की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। गीता फोगाट का विवाह पहलवान पवन कुमार से हुआ है। गीता के पति पवन कुमार गीता से उम्र में पाँच साल छोटे हैं । वो दिल्ली के रहने वाले हैं।
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गीता फोगाट के पदक
- 2009 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप - स्वर्ण पदक
- 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक
- 2012 कुश्ती FILA एशियाई ओलंपिक टूर्नामेंट - स्वर्ण पदक
- 2012 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप - कांस्य पदक
- 2013 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप - रजत पदक
- 2015 एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप - कांस्य पदक
गीता फोगाट की सफलता भारतीय समाज के लिए अत्यधिक प्रेरणा दायक है । हमारे देश में महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उन्हें शिक्षा और नौकरी से तथा समाज में बराबरी के हक़ से वंचित रह जाना पड़ता है। समाज में रूढ़ीवादी प्रवृत्तियाँ अभी भी विद्यमान हैं । भारत को गीता फोगाट जैसी लड़कियों की आवश्यकता है जो अपने कठिन मेहनत और दृढ़ संकल्प से समाज में एक नयी चेतना दे सकें । गीता फोगाट की सफलता महिला सशक्तिकरण को निश्चित रूप से बढ़ावा देगी। उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत ने वास्तव में भारत के दूर दराज के गाँवों में रहने वाली लड़कियों को आत्म विश्वास और गर्व से भर दिया है। गीता फोगाट की सफलता की कहानी बहुत सारे संघर्षों और बाधाओं से भरी है। हरियाणा सरकार द्वारा दिये गए सम्मान गीता फोगात को जीवन मे और अधिक उपलब्धियों को हासिल करने की प्रेरणा देते हैं। उनके पिता महावीर फोगत भी अपनी बेटियों की उपलब्धियों से संतुष्ट हैं। हमें गीता फोगाट जैसी संघर्ष करने वाली और लड़कियों की आवश्यकता है जो लड़कियों को समाज में सम्मान का स्थान दिला सकें ।
गीता फोगाट के संघर्ष एवं सफलता की पूरी कहानी | Gita Fogat Biography In Hindi




