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शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल की जीवनी | Mumtaz Mahal Biography In Hindi

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मुगल सल्तनत कें पांचवें शासक शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल को आज दुनिया कें साथ अजूबों मे बनें एक ताजमहल की बनने की कहानी के लिए याद किया जाता है जो शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज के प्यार की निशानी है. बेगम मुमताज अपने अति सुंदर सौंदर्य रूप के कारण सल्तनत के उस दौर में काफी मशहूर थी.
मुमताज की इसी सुंदरता को देख मुगल राजा शाहजहां उन पर मोहित हो गए थे. मुमताज के सौंदर्य से मोहित होकर शाहजहां ने मुमताज को अपनी बेगम बना लिया. शाहजहां ने मुमताज को बेगम बनाने के बाद मुगल दरबार के साथ सभी कवियों को मुमताज की सुंदरता का बखान करने के आदेश दिए थे.
दोस्तो मुमताज महल की जितनी सुंदरता थी ठीक उसी तरह वो एक शांत दयालुता के गुणों से पुर्ण महिला थी. वो हर समय गरीब बेसहारा लोगो की मदद के लिए आगे रहती थी. मुमताज महल अपने सुंदरता के गुणों के साथ एक चतुर महिला भी थी. यहीं वजह है की कई बार राज कार्य के किसी विकट फैसलों के समय शाहजांह बेगम मुमताज से भी उस बारें में चर्चा करते थें. तो चलिए दोस्तो जानते है सुंदरता दयालुता और चतुरता के गुणों से समोहित मुगल शासक शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल के जीवन के बारें में.
मुमताज का जन्म व परिवार | Mumtaz Birth and Family Information In Hindi
मुमताज महल का जन्म 27 अप्रैल 1593 को उत्तरप्रदेश के आगरा में अब्दुल हसन आसफ खां के घर हुआ था मुमताज महल को जन्म के बाद अर्जुमंद बनो बेगम रखा गया था. मुमताज महल के पिता आसफ खां मुगल साम्राज्य के पांचवें शासक शाहजहां के पिता मुगल सम्राट जहांगीर के वजीर थे. वहीं जाहंगीर के दरबार में मुमताज की बुआ नुरजहां जहांगीर के दरबार के सबसे प्रिय बेगम थी.
मुमताज और शाहजहां का मिलन और निकाह की कहानी | Mumtaz Shahjahan Love Story In Hindi
अपनी सुंदरता के साथ मुमताज एक गुणवती महिला थी. मुमताज महल हरम के साथ जुड़े मीना बाजर में रेशम और मोतियों को बचने का कार्य करती थी. मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज की पहली बार मुलाकात इसी मीना बाजार में 1607 हुई थी. इस मुलाकात के समय मुमताज महल केवल 14 वर्ष की थी.
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मुमताज और शाहजहां के प्रेम की कहानी की शुरूआत इसी बाजार से हुई. समय बीतने के साथ दोनो का प्यार और अधिक बढ़ता गया. मुलाकात के पुरे 5 वर्ष बाद मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज ने 1612 ईसवी में निकाह कर लिया. शाहजहां के साथ निगाह के बाद मुमताज मुगल दरबार में शाहजहां की सबसे प्रिय बेगम बन गई. मुमताज से शाहजहां का प्यार इस कदर था की वो अपना एक भी पल बिना मुमताज के नही गुजारना चाहतें थे.
शहजहां द्वारा बेगम मुमताज को दिए अधिकार | Mumtaz Shahjahan In Hindi
शाहजहां अपनी बेगम अर्जुमंद बानों की सुंदरता पर इतना मोहित था की उन्होंने उनसे निकाह करने के बाद उनका नाम अर्जुमंद बानों से बदलकर उनका नाम मुमताज बेंगम रख दिया. नाम मे बदलाव के साथ शाहजहां ने मुमताज को “मलिका-ए जमानी“ की उपाधि भी प्रदान की. दोस्तो वैसे तो मुगल दरबार में शाहजहां के कई पत्नियां थी लेकिन जो सम्मान शाहजहां ने मुमताज महल को दिया था वा अब तक किसी भी बेंगम को नही दिया था.
मुगल साम्राज्य के इतिहासकारों के अनुसार शाहजहां ने मुमताज महल से निकाह के बाद अपने साम्राज्य से जुड़े कई राजकार्यो का अधिकार मुमताज महल के अधिन कर दिया था. साथ ही दोस्तो शाहजहां के द्वारा जारी किया जानें वाला बड़ा फरमान मुमताज महल की मुहर लगे बिना जारी नही होता था.
शाहजहां और मुमताज के इस प्यार के बंधन के बारें में कहां जाता है की मुगल साम्राट शाहजहां को मुमताज से इतना प्यार था की वो खुद को मुमताज से एक पल भी दूर नही रखना चाहते थे. और जब भी शहाजहां अपने किसी राजकार्य के सिलसिले में बाहर जाते थे तब मुमताज को भी अपने साथ लेकर जाते थें.
साथ ही शाहजहां ने खुद से ज्यादा भरोसेमंद इंसान के रूप में मुमताज का चयन करते हुए उन्हें सम्मानित किया और इस उपलब्धि के रूप में उनके नाम आगरा में खास महल, उनके नाम की शाही मौहर, मुहर उजाह, जैसे भव्य महलों का निमार्ण करवाया.
मुमताज की याद में ताजमहल का निमार्ण | Memory of Mumtaz
शाहजहां के साथ निकाह के बाद मुमताज महल को कुल 14 संतानों की प्राप्ती हुई थी. इनमें 8 पुत्र थे और 6 पुत्रियां थी लेकिन 14 संतान में से 7 बच्चों की जन्म के समय और किशोरावस्था के दौरान ही मौत हो गई थी. मुमताह की संतान में - जहाँआरा, दाह शिकोह, गौहर आरा बेगम, मुराद बख्श, रोशनारा बेगम के नाम थे.
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मुमताज और शहजहां की इन सतानों मे सबसे बड़े बेटे दाह शिकोह चतुर और बुद्धिमान थे. बेटे दाह शिकोह की बुद्धिमत्ता और चतुरता के गुण देख कर शाहजहां अपने बाद मुगल दरबार का सारा राजपाट उसके हाथां में देना चाहतें थें. बाद में मुगल साम्राज्य की सत्ता पाने के लिए लालची भाई औरंगजेब से हार का सामना करना पड़ा. शाहजहां की 14 वीं संतान गौहर बेगम के जन्म के दौरान मुमताज महल के हुई अत्याधिक प्रसव पीड़ा के कारण 17 जून 1631 को मुमताज महल ने दम तोड़ दिया.
मुमताज महल की प्रसव पीड़ा के दौरान मौत की खबर सुन कर शाहजहां बुरी तरह टूट गए साथ ही दोस्तो इस बारें में ऐसा भी कहां जाता है की अपनी प्यारी बेंगम की मौत के बाद करीब 2 साल तक उनकी मौत का शोक मनाया था. अपने रंगीन और शौक मिजाज के लिए पहचानें जाने वाले शाहजहां ने बेंगम मुमताज की मौत के बाद सारें शौक छोंड़ दिए और फिर न तो उन्होंने कोई शाही लिबाज के वस्त्र पहने ना ही कभी किसी उत्सव के जलसे मे शामिल हुए.
मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने अपनी मोहब्बत को दुनिया में हमेशा के लिए अमर करने के लिए आगरा शहर में मुमताज की याद और अपने प्यार के स्मारक के रूप में ताजमहल का निमार्ण करवाया. ताजमहल जो आज अपनी भव्यता और खूबसूरती के कारण पुरी दुनिया में जाना जाता है. ताजमहल की इसी भव्यता और सुंदरता के कारण इसे दुनिया के सात अजूबों रखा गया है. ताजमहल के सम्पुर्ण निमार्ण प्रणाली में पुरें 23 सालों का समय लगा था. जो आज शाहजहां और मुमताज की प्यार की निशानी के रूम में जाता जाता है.
शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल की जीवनी | Mumtaz Mahal Biography In Hindi