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भगवान श्री कृष्ण के 52 अनमोल वचन | Shree Krishna Quotes In Hindi
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श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण के कहे गये 52 अनमोल वचन | Shree Krishna Quotes In Hindi
दोस्तो आज मैं आपको भगवान श्री कृष्ण के अनमोल वचनों के बारे मे बताने जा रहा हूँ| यदि आप इन अनमोल वचनों को अपनी जिंदगी मे उतारे तो आप की सोच बदल सकती है और अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते है| भगवान श्री कृष्ण के बारे मे हम सब ने सुना है और कई बार पढ़ा है की भगवान श्री कृष्ण को 108 नामो से जाना जाता है| भगवान श्री कृष्ण अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग नामों से जाने जाते है| भगवान श्री कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था इन्हें आजीवन "वासुदेव" के नाम से जाना गया था| तो चलिये उन अनमोल वचनों के बारे जानते है- Shree Krishna Quotes In Hindi
#1.
"शांति से भी दुखों का अंत हो जाता है और शांत चित्त मनुष्य की बुद्धि शीघ्र ही स्थिर होकर परमात्मा से युक्त हो जाती है।"- श्री कृष्ण
#2.
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"क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ में डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।" - श्री कृष्ण
#3.
"हर काम का फल मिलता है-' इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है।"- श्री कृष्ण
#4.
"विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है।क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है।" - श्री कृष्ण
#5.
"संयम का प्रयत्न करते हुए ज्ञानी मनुष्य के मन को भी चंचल इंद्रियां बलपूर्वक हर लेती हैं। जिसकी इंद्रियां वश में होती है, उसकी बुद्धि स्थिर होती है।" - श्री कृष्ण
#6.
"जो भी मनुष्य अपने जीवन , आध्यात्मिक ज्ञान के चरणों के लिए दृढ़ संकल्प में स्थिर है;वह सामान्य रूप से संकटों के आक्रमण को सहन कर सकते हैं और निश्चित रुप से खुशियां और मुक्ति पाने के पात्र हैं।" - श्री कृष्ण
#7.
"जब तुम्हारी बुद्धि मोह रूपी दलदल को पार कर जाएगी; उस समय तुम शास्त्र से सुने गए और सुनने योग्य वस्तुओं से भी वैराग्य प्राप्त करोगे।" - श्री कृष्ण
#8.
"केवल कर्म करना ही मनुष्य के वश में है, कर्मफल नहीं। इसलिए तुम कर्मफल की आसक्ति में ना फसो तथा कर्म का त्याग भी ना करो।" - श्री कृष्ण
#9.
"तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया;यही से लिया;जो दिया, यही पर दिया, जो लिया,इसी(ईश्वर) से लिया; जो दिया,इसी को दिया।" - श्री कृष्ण
#10.
"जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए यह शत्रु के समान कार्य करता है।" - श्री कृष्ण
#11.
"खाली हाथ आए और खाली हाथ वापस चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का या परसों किसी और का होगा, तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो।" - श्री कृष्ण
#12.
"सुख - दुख, लाभ - हानि और जीत - हार की चिंता ना करके, मनुष्य को अपनी शक्ति के अनुसार कर्तव्य कर्म करना चाहिए। ऐसे भाव से कर्म करने पर मनुष्य को पाप नहीं लगता।" - श्री कृष्ण
#13.
"जो हुआ, वह अच्छा हुआ। जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है ।जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिंता न करो। वर्तमान चल रहा है।" - श्री कृष्ण
#14.
"क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।" - श्री कृष्ण
#15.
"सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बढ़कर है।" - श्री कृष्ण
#16.
"सभी प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मृत्यु के बाद फिर अप्रकट हो जाएंगे। लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच प्रकट दिखते हैं; फिर इसमें सोचने की क्या बात है?" - श्री कृष्ण
#17.
"परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो,दूसरे चरण में तुम दरिद्र हो जाते हो। " - श्री कृष्ण
#18."शस्त्र आत्मा को काट नहीं सकते, अग्नि इसको जला नहीं सकती, जल इसको गीला नहीं कर सकता, और वायु इसे सूखा नहीं सकती।" - श्री कृष्ण
#19.
"जैसे मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों को उतार कर दूसरे नए वस्त्र धारण करता है,वैसे ही आत्मा मृत्यु के बाद अपने पुराने शरीर को त्याग करने से ही प्राप्त करती है।" - श्री कृष्ण
#20.
"आत्मा ना कभी जन्म लेती है और ना मरती है। शरीर का नाश होने पर भी नष्ट नहीं होता।" - श्री कृष्ण
#21.
"आत्मा अमर है। जो लोग इस आत्मा को मारने वाला या मरने वाला मानते हैं, वे दोनों ही नासमझ है आत्मा ना किसी को मारती है और ना ही किसी के द्वारा मारी जा सकती है।" - श्री कृष्ण
#22.
"न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु ,पृथ्वी, आकाश से मिलकर बना है और इसी में मिल जाएगा। परंतु आत्मा स्थिर है- फिर तुम क्या हो?" - श्री कृष्ण
#23.
"तुम ज्ञानियों की तरह बातें करते हो, लेकिन जिनके लिए शोक नहीं करना चाहिए उनके लिए शोक करते हो । मृत या जीवित ज्ञानी किसी के लिए शोक नहीं करते।" - श्री कृष्ण
#24.
"कर्म ही पूजा है।" - श्री कृष्ण
#25.
"व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।"- श्री कृष्ण
#26.
"मैं काल हूँ, सबका नाशक, मैं आया हूं दुनिया का उपभोग करने के लिए।" - श्री कृष्ण
#27.
"कर्म उसे नहीं बांधता जिसने काम का त्याग कर दिया है।" - श्री कृष्ण
#28.
"बुद्धिमान व्यक्ति कामुख सूख में आनंद नहीं लेता।" - श्री कृष्ण
#29.
"मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ ,जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं।" - श्री कृष्ण
#30.
"अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है।" - श्री कृष्ण
#31.
"अपने अनिवार्य कार्य करो ,क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रिया से बेहतर है।" - श्री कृष्ण
#32.
"मैं सभी प्राणियों की हृदय में विद्यमान हूं।" - श्री कृष्ण
#33.
"निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है।" - श्री कृष्ण
#34.
"बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवृत्तियों से जुड़े हुए हैं और उनकी बुद्धि माया ने हर ली है, वह मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते।" - श्री कृष्ण
#35.
"मैं उष्मा देता हूं; मैं वर्षा करता हूं ;मैं वर्षा रोकता भी हूं ;मैं अमृतव भी हूं और मृत्यु भी मैं ही हूं।" - श्री कृष्ण
#36."जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं; वे देवताओं की पूजा करें।" - श्री कृष्ण
#37.
"जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।" - श्री कृष्ण
#38.
"इंद्रियों की दुनिया में कल्पना सुखों की शुरुआत है, और अंत भी, जो दुख को जन्म देता है।" - श्री कृष्ण
#39.
"कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है।" - श्री कृष्ण
#40.
"कर्म मुझे बांधता नहीं;क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।" - श्री कृष्ण
#41.
"करुणा द्वारा निर्देशित सभी कार्य ध्यान से करो।" - श्री कृष्ण
#42.
"सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।" - श्री कृष्ण
#43.
"किसी और का काम पूर्णता करने से कहीं अच्छा है कि अपना करे भले ही उसे अपूर्णता का साथ करना पड़े।" - श्री कृष्ण
#44.
"हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।" - श्री कृष्ण
#45.
"जो ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है; वही सही मायने में देखता है।" - श्री
कृष्ण
#46.
"जो चीज हमारे हाथ में नहीं है,उनके विषय में चिंता करके कोई फायदा नहीं है"
#47.
"जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।"
#48.
"यदि कोई बड़े से बड़ा दुराचारी भी अनन्य भक्ति भाव से मुझे भजता है, तो उसे भी साधु ही मानना चाहिए और वह शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है तथा परम शांति को प्राप्त होता है।" Shree Krishna Quotes In Hindi
#49.
"जैसे प्रज्वलित अग्नि लकड़ी को जला देती है; वैसे ही ज्ञान रुपी अग्नि कर्म के सारे बंधनो को नष्ट कर देती है।"
#50.
"अपने आप जो कुछ भी प्राप्त हो, उसमें संतुष्ट रहने वाला, ईर्ष्या से रहित, सफलता और असफलता में समभाव वाला कर्मयोगी कर्म करता हुआ, भी कर्म के बंधनों में नहीं बँधता है।" Shree Krishna Quotes In Hindi
#51.
"जो आशा रहीत है जिसके मन और इंद्रियां वश में है,जिसने सब प्रकार के स्वामित्व का परित्याग कर दिया है, ऐसा मनुष्य शरीर से कर्म करते हुए भी पाप को प्राप्त नहीं होता।"
#52.
"काम ,क्रोध और लोभ यह चीजों को नरक की ओर ले जाने वाले तीन द्वार हैं।" Shree Krishna Quotes In Hindi